मूल निवासी

  • हम सिंधु सभ्यता वाले हैं,
    जाति मेरी पहचान नहीं,
    हम मूलनिवासी भारत के,
    हमको है अभिमान यही।


एससी एसटी ओबीसी,
तीनो ये कोई जाति नहीं,
यह तो जाति की सूंची है,
जाति मेरी पहचान नहीं ।


एससी एसटी ओबीसी,
तीनो पिछड़े मे आते हैं,
शिक्षा सम्मान से पिछड़े हैं,
इसलिए संविधान बचाते हैं।


एससी अछूत कहलाता है,
एसटी का घर द्वार नहीं,
बचे हुए ओबीसी हैं,
तीनों का सम्मान नहीं।


ओबीसी का अनुच्छेद तीन सौ चालिस,
तीन सौ इकतालिस एससी है,
तीन सौ बयालिस एसटी वाला,
संवैधानिक पहचान ऐसी है।


एक समय इतिहास हमारा था,
हम विश्व विजयी कहलाते थे,
भारत सोने की चिड़िया था,
हम विश्व गुरू कहलाते थे।


प्रतिक्रांति शुंग ने किया तभी,
बृहद्रथ को छल से मार दिया,
जाति भेद अब प्रबल हुआ,
बौद्धमय भारत उजाड़ दिया।


ओबीसी ने गुलामी स्वीकार किया,
सेवा का अवसर पाया था,
एससी तो कुछ दिन दूर रहा,
अछूत का जीवन पाया था।


एसटी वाला स्वाभिमानी था,
उसने जंगल को स्वीकार किया,
बेघर रहकर दुख सह कर भी,
गुलामी को इनकार किया। 


एससी एसटी ओबीसी को,
पिछड़ा वर्ग भी कहते हैं,
बैकवर्ड क्लास आफ सीटीजन,
से भागेदारी कुछ लेते हैं।


पिछड़े वर्ग के कुछ भाई ,
को समता समझ मे आया था,
छेदी लाल अब सुराख अली,
फिर होल्कर भी कहलाया था।


पिछड़ों से कुछ अपने ही,
दुसरे धर्मों मे चले गये,
पिछड़े और ये धर्म परिवर्तित,
मूलनिवासी पहचान को भूल गये।
 
पिछड़ा वर्ग इनसे धर्म परिवर्तित,
सब भारत के मूलनिवासी हैं,
जो बहुजन समाज हैं भारत के,
प्रतिशत संख्या से पचासी हैं।


मेरी बात न मानो तो ,
पढ़लो किताब वोल्गा से गंगा को,
डिस्कवरी आफ इंडिया को,
द होम आर्किटिक वेदा को l


तीनो को लिखने वाले ही,
खुद स्वीकार कर लेते हैं,
वे आर्य विदेश से आए हैं,
जो हमे गुलाम बनाए हैं।


फिर न बात समझ आये,
तो डीएनए टेस्ट करा लेना,
प्रतिशत मे पंद्रह पचासी का,
हिसाब किताब लगा लेना।


जाओ लिख दो दीवारों पर,
शासक अब हमको बनना है,
गुलामी का एहसास करा करके,
आंदोलित सबको करना है।


ये बात समझ मे आये तो,
अपनों मे इतना बता देना,
सात हजार हमारे टुकड़े को,
बहुजन समाज बना देना।


बहुजन समाज के तीन कप्तान
दलित,पिछड़ा,और मुसलमान।।


🙏🏻नमो बुद्धाय जय भीम🙏🏻


मंगलम with बहुजन प्रोडक्ट अपनाए जीवन को मंगलमय बनाये... 
सबका मंगल हो..